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आज 100 साल का हुआ एक रुपए का नोट

भले दिन गुजर गए,लेकिन एक के नोट की एक वक्त बहुत बड़ी कीमत  हुआ करती थी, एक का नोट मिलने पर मानो ऐसा व्यतित होता था, जैसे कि सब कुछ मिल गया, धीरे-धीरे समय गुजरता गया और एक के नोट का सामान कम मिलने लग गया। एक वक्त था जब एक के नोट से बहुत कुछ खरीदा जा सकता था। आपको बताते हैं कुछ ऐसे ही इससे जुडे रोचक तथ्य।
"एक के नोट को शगुन के तौर पर देखा जाता हैं, जब भी कुछ पार्टी या शादी-विवाह में जाना हैं तो लिफाफे में बड़े नोट के साथ एक का नोट जरूर रखा जाता हैं, लेकिन समय के साथ एक के नोट की जगह एक के सिक्के ने ले ली।"
वैसे तो आप सभी को एक रुपए के नोट से जुड़े किस्से याद होंगे। शगुन देने के लिए अब तो एक रुपए का सिक्का लगे लिफाफे आने लगे हैं लेकिन एक दौर ऐसा था कि परिवार के सदस्य एक रुपए के नोट को ढूंढते फिरा करते थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही एक रुपए का नोट करीब 100 साल का हो चुका है और इसकी शुरआत का इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है।

भारत में एक रुपए के नोट ने आज 100 साल पूरे कर लिए। एक रुपए का पहला नोट 30 नवंबर 1917 को छपकर आया था। उस समय इस पर जॉर्ज पंचम की तस्वीर थी। पहले विश्व युद्ध के दौरान चांदी के पर्याप्त सिक्के ढालने में नाकाम रही ब्रिटिश सरकार ने एक रुपए के नोट की शुरुआत की थी। रिजर्व बैंक की वेबसाइट के मुताबिक इसे 1926 में बंद कर दिया गया था क्योंकि इसकी लागत अधिक थी। इसके बाद इसे 1940 में फिर से छापना शुरु कर दिया गया जो 1994 तक जारी रहा। मोदी सरकार ने वर्ष 2015 में इसकी छपाई दोबारा शुरू करवाई।तमाम बार गुमनामी में जाने के बाद भी इसने अपने अनूठे भेदों को बरकरार रखा है और इसे आज भी कानूनी भाषा में सिक्का कहा जाता है।
इस नोट की सबसे खास बात यह है कि इसे अन्य भारतीय नोटों की तरह भारतीय रिजर्व बैंक जारी नहीं करता बल्कि स्वयं भारत सरकार ही इसकी छपाई करती है। इस पर रिजर्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर नहीं होता बल्कि देश के वित्त सचिव का दस्तखत होता है। 1 रुपये का नोट एकमात्र ऐसा नोट हा जिसपर 'गवर्नमेंट ऑफ इंडिया' लिखा होता है, जबकि अन्य नोटों पर 'रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया' लिखा होता है। इतना ही नहीं कानूनी आधार पर यह एक मात्र वास्तविक करेंसी नोट है बाकी सब नोट प्रॉमिसरी नोट होते हैं जिस पर धारक को उतनी राशि अदा करने का वचन दिया गया होता है।
पहले विश्वयुद्ध के दौरान चांदी की कीमतें बहुत बढ़ गईं थी इसलिए जो पहला नोट छापा गया उस पर एक रुपए के उसी पुराने सिक्के की तस्वीर छपी। तब से यह परंपरा बन गई कि एक रुपये के नोट पर एक रुपये के सिक्के की तस्वीर भी छपी होती है। शायद यही कारण है कि कानूनी भाषा में इस रुपये को उस समय  सिक्का भी कहा जाता था। पहले एक रुपये के नोट पर ब्रिटिश सरकार के तीन वित्त सचिवों के हस्ताक्षर थे। ये नाम एमएमएस गुब्बे, एसी मैकवाटर्स और एच़ डेनिंग थे। आजादी से अब तक 18 वित्त सचिवों के हस्ताक्षर वाले एक रुपये के नोट जारी किए गए हैं। वीरा के मुताबिक एक रुपये के नोट की छपाई दो बार रोकी गई और इसके डिजाइन में भी कम से कम तीन बार आमूल-चूल बदलाव हुए लेकिन संग्राहकों के लिए यह अभी भी अमूल्य है।


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